सरसों के औषधीय गुण एवं उपयोग

MUSTARD SEED AND MUSTARD OIL



सरसों की खेती सर्दियों के मौसम में तिलहन फसल के रूप में की जाती है। इसके पत्ते का साग-सब्जी के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके बीज से तेल प्राप्त किया जाता है।पारंपरिक रूप से सरसों के तेल को कड़वे तेल के नाम से उपयोग किया जाता है। इसका तेल बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक होता है।



        मक्के की रोटी और सरसों का साग पंजाब प्रांत का मुख्य भोजन माना जाता है। सरसों के साग का सेवन करने से कब्ज एवं ठंढ से राहत मिलती है। सरसों के दानों को दूध की सहायता से पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरा साफ होकर निखर जाता है। दमा का दौरा पड़ने पर सरसों दाना पीसकर, इसकी चाय बनाकर रोगी को पिला दें। इससे दमा का दौरा शांत हो जाता है।
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         ठंढ के मौसम में नियमित सरसों तेल की मालिश से शारीरिक स्फूर्ति एवं स्निग्धता आती है। नियमित मालिश करने वालों को अलसक नहीं होता है। सर्दी के कारण होने वाले सिर दर्द 
एवं जुकाम में सरसों के तेल का दो-दो बूंद नाक में डालने से आराम मिलता है। इस तेल में कपूर मिलाकर मालिश करने से बरसाती फोड़े-फुंसियों से छुटकारा मिलता है। इस तेल की मालिश से घुटना दर्द, कमर दर्द एवं प्रसव के बाद होने वाले शारीरिक दर्द आदि में बेहद लाभ प्राप्त होता है। गठिया एवं जोडों के दर्द में सरसों के दानों का औषधि के रूप में सेवन किया जाता है।



         सरसों तेल में नमक अथवा हल्दी मिलाकर दंत-मंजन के रूप में प्रयोग करने से दांत के अनेक विकार नष्ट हो जाते हैं। इस तेल में लहसून पकाकर कान में डालने से कान दर्द से राहत मिलती है। नियमित रूप से इस तेल को सिर में लगाने से बालों का झरना रुक जाता है एवं बाल काले, घने एवं मजबूत होते है। साथ हीं ऐसा करने से आँखों की रौशनी भी बढ़ती है। इस प्रकार रसोई में हमेशा उपलब्ध रहने वाले सरसों तेल से अनेक रोगों का घरेलू इलाज किया जा सकता है।

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सरसों के औषधीय गुण एवं उपयोग सरसों के औषधीय गुण एवं उपयोग Reviewed by Ragini Rani on March 15, 2019 Rating: 5

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