अजवाइन के आयुर्वेदिक गुण एवं औषधीय उपयोग
विभिन्न रोगों मे अजवाइन का उपयोग
अजवाइन भारतीय रसोई में पाए जाने वाले मुख्य मसालों में से एक है। इसका स्वाद एवं सुगंध बेजोड़ होता है। भोजन के साथ-साथ औषधि के रूप में भी यह बेहद उपयोगी होता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। नव प्रसूता(new mother) को अजवाइन की फंकी अथवा काढ़े का नियमित उपयोग करना चाहिए। इसके उपयोग से भोजन आसानी से पचता है एवं कमर दर्द(back pain) में लाभ होता है। इसका सेवन मंदाग्नि को तीव्र करता है।
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अजवाइन का विभिन्न पदार्थों के साथ सेवन अनेक रोगों में औषधि का काम करता है। इसकी तासीर गर्म होने के कारण गर्भावस्था में इसका उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए। शीत ज्वर में अजवाइन के काढ़े का दिन में तीन-चार बार सेवन करने से शरीर में गर्मी आती है तथा पसीने के साथ बुखार उतर जाता है। सूखी खांसी अथवा दमा के मरीज को अजवाइन, लौंग, काली मिर्च तथा सोंठ के काढ़े का उपयोग करना लाभप्रद होता है। इससे कफ ढीला होकर निकल जाता है।
पेट में दर्द हो या गैस बनती हो या गैस के कारण सिर में दर्द हो तो अजवाइन, काला नमक एवं हींग को खूब चबाकर गुनगुने पानी से निगल जाएं। अजवाइन का चूर्ण छाछ(मट्ठा) में मिलाकर सेवन करने से पेट का कीड़ा एवं वायुगोला में लाभ होता है। गुर्दे की पथरी यदि प्रारंभिक अवस्था में हो तो अजवाइन को मूली के रस के साथ नियमित सेवन करने से पथरी गलकर पेशाब के रास्ते निकल जाता है।
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अजवाइन के आयुर्वेदिक गुण एवं औषधीय उपयोग
Reviewed by Ragini Rani
on
March 23, 2019
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