Delivery/प्रसव-पश्चात नव यौवन प्राप्त करने का घरेलू नुस्खा



Delivery के बाद प्रसूता की देखरेख एवं सुरक्षा


नौ माह का गर्भकाल पूर्ण करने के बाद शिशु जन्म के समय जो प्रसव-पीड़ा स्त्री सहती है उसका अनुमान केवल मां बनी स्त्री हीं लगा सकती है कोई और नहीं। प्रसव के उपरांत प्रसूता को शारीरिक एवं मानसिक सहारे की आवश्यकता होती है। प्रसूता स्त्री अपने शरीर और स्वास्थ्य का रक्षण-पोषण करके फिर से पहले की भांति स्वस्थ्य और सुंदर शरीर वाली हो सके इसके लिए उचित एवं हितकारी आहार-विहार की व्यवस्था करना पति एवं पूरे परिवार का कर्तव्य बनता है। उचित देखरेख एवं हितकारी आहार-विहार के सेवन से नव-प्रसूता स्त्री का शरीर पहले से भी ज्यादा स्वस्थ तथा सुडौल हो सकता है।
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           प्रसव के बाद का समय प्रसूता स्त्री के लिए शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से बहुत हीं नाजुक और संवेदनशील हो जाता है। प्रसव के बाद लगभग एक से डेढ़ महीना तक प्रसूता शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ नही हो पाती है। प्रथम प्रसव, स्त्री के जीवन की बहुत बड़ी घटना होती है। माँ के रूप में स्त्री का नया जन्म होता है। ऐसे में ज्यादा परिश्रम वाला कार्य नहीं करना चाहिए। पूर्ण स्वस्थ होने तक स्त्री को सहवास से भी दूर रहना चाहिए। आराम के साथ प्रसूता के लिए मालिस भी बहुत जरूरी होता है। मालिश प्रसव-पीड़ा के कारण होने वाले शारीरिक थकान एवं दर्द में बेहद लाभप्रद होता है। मालिश शिशु के भी शारीरिक विकास में लाभप्रद होता है।
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      प्रसूता को शुरू के बीस दिन तक बिल्कुल सादा एवं सुपाच्य भोजन करना चाहिए। दो-तीन महीने तक उबाला हुआ पानी हीं पीना चाहिए। यदि मौसम गर्मी का हो तो उबले हुए पानी को सुराही में रख कर इस्तेमाल करना चाहिए। हमेशा ताजा भोजन करें एवं मौसम के अनुसार फल एवं सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करें। प्रसूता को अधिक से अधिक दूध का सेवन करना चाहिए। दूध में अपनी इच्छा अनुसार कभी हल्दी तो कभी सतावर मिलाकर सेवन करना चाहिए। सोंठ-मेथी का लड्डू एवं हल्दी का हलवा भी प्रसूता के लिए लाभप्रद होता है। इसके सेवन से गर्भाशय की सफाई होती है एवं गर्भाशय को ताकत भी मिलता है। हल्दी-दूध एवं सतावर का सेवन दूध वृद्धि में भी सहायक होता है।

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      प्रसव के बाद प्रसूता को भूख अधिक लगती है। परंतु कुछ स्त्रियां मोटी होने के डर से भोजन कम करती है। ऐसा करने से वो खुद भी कमजोर होती हैं एवं स्तन में दूध का उत्पादन भी उचित मात्रा में नहीं हो पाता है। दूध की कमी की वजह से बच्चा भूखा रह जाता है। ऐसे में बच्चे का समुचित विकास नहीं हो पाता है। यदि माँ के दूध से बच्चे का पेट न भरे तो बच्चे को पानी मिला हुआ गाय का दूध देना चाहिए। लेकिन माँ को अधिक से अधिक अपना दूध हीं पिलाने की कोशिश करनी चाहिए। माँ के दूध में पोषक तत्वों के अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है। यह बच्चे को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने की ताकत देता है।
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          एक महीने बाद प्रसूता को प्रतिदिन अजवाइन की फक्की अथवा काढ़े का उपयोग करना चाहिए। अजवाइन के सेवन से माँ एवं बच्चा दोनों को गैस एवं बदहजमी की शिकायत नहीं होती है। वैसे कोशिश करनी चाहिए की कोई भी नुकसानदायक पदार्थ का सेवन न करें क्योंकि माँ के भोजन का सीधा असर दूध के माध्यम से बच्चे पर होता है। अतः ध्यान रहे किसी भी प्रकार की दवा अथवा गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन चिकित्सक के परामर्श के बिना नहीं करना चाहिए।

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Delivery/प्रसव-पश्चात नव यौवन प्राप्त करने का घरेलू नुस्खा Delivery/प्रसव-पश्चात नव यौवन प्राप्त करने का घरेलू नुस्खा Reviewed by Ragini Rani on March 30, 2019 Rating: 5

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