Cancer and Aayurved/ कैंसर और आयुर्वेद
आहार द्वारा कैंसर का मुकाबला
कैंसर प्राणघातक रोगों में से एक रोग है। यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। शरीर की कोशिकाओं का असामान्य विकास कैंसर के ट्यूमर का कारण होता है परंतु कोशिकाओं के असामान्य विकास के कारण का अभी तक पता नहीं लगा है। आज के समय में कैंसर ग्रस्त रोगी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
कैंसर होने का प्रमुख कारण तो अभी तक पता नहीं लगा है, परन्तु 80 प्रतिशत मामले में पर्यावरण एवं गलत आहार-विहार को इसका कारण माना जाता है। पुरुषों में जहाँ यह आमतौर पर मुँह, गले, भोजन नली, आंत और फेफडों में होता है, वहीं महिलाओं में स्तन, गर्भाशय एवं पित्ताशय का कैंसर अधिकतर होता है। कैंसर का लक्षण रोग ग्रस्त अंगों के अनुसार अलग-अलग होता है।
रोकथाम एवं उपचार:--- कैंसर की रोकथाम का सबसे अच्छा तरीका है स्वास्थ्य वर्धक भोजन से शरीर की रक्षा-प्रणाली का सशक्त निर्माण करना है। कैंसर रोग में तुलसी का पत्ता अत्यन्त लाभप्रद होता है। कैंसर रोगी को प्रतिदिन सुबह में नित्य क्रिया से निवृत होकर खाली पेट दही एवं तुलसी पत्ते का सेवन करना चाहिए। 20 से 25 ताजी काली तुलसी की पत्तियों को साफ करके सिलबट्टे पर महीन पीस लें। अब इस चटनी को एक कटोरी ताजी और मीठी दही में मिलाकर खा लें। यदि दही मीठी ना हो तो इसमें एक-दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें। इसका सेवन सुबह में खाली पेट करें एवं इसके एक घंटा बाद नाश्ता करें। कैंसर जैसे जानलेवा रोग में इसे दो से तीन बार ले सकते है जबकि अन्य रोगों में एक खुराक से हीं काफी फायदा होता है।
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कैंसर रोगी को ज्यादा-से-ज्यादा ताजे और रस वाले फलों का सेवन करना चाहिए। कब्ज उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें। प्रतिदिन नारियल पानी का सेवन भी कैंसर को बढ़ने से रोकता है। कैंसर रोगी को मानसिक अवसाद से दूर रहना चाहिए एवं पूर्ण विश्वास रखना चाहिए कि वे जल्द हीं कैंसर से छुटकारा पाकर स्वस्थ हो जाएंगे। इस प्रकार दृढ़ निश्चय एवं सही भोजन करके कैंसर के अधिकतर मामलों से और उनके परिणामस्वरूप होनेवाली मृत्यु से बचा जा सकता है।
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Cancer and Aayurved/ कैंसर और आयुर्वेद
Reviewed by Ragini Rani
on
March 05, 2019
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