Heart Attack (हृदयघात) के कारण एवं बचाव
हृदयघात (दिल की बिमारी) का कारण एवं घरेलू इलाज
हृदय, शरीर का एक बहुत हीं सक्रिय अंग है। यह शरीर के विभिन्न अंगों को शुद्ध रक्त पहुँचाने का कार्य करता है। रक्त शुद्ध करने के लिए हृदय प्रति मिनट 70 से 80 बार धड़कता है। इस कार्य के लिए हृदय को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। यदि किसी कारण से हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलने में कठिनाई होने लगती है, तब हृदय-धमनियों की बीमारी की स्थिति पैदा हो जाती है। समय रहते सावधान नहीं होने पर इसकी व्यापकता बढ़ जाती है।
हृदयघात का कारण :---- Heart Attack के अनेक कारण हैं, जिनमें से कुछ हमारे वश में है। पर कुछ कारणों पर नियंत्रण करना हमारे वश में नहीं है। बढ़ती हुई उम्र के कारण धमनियां सख्त और मोटी होने लगती है। जब धमनी मोटी होने लगती है तो उसके अन्दर का व्यास कम होने लगता है। व्यास में कमी के कारण रक्त प्रवाह में रुकावट पैदा होने लगती है। कुछ कारणों से धमनियों के अन्दर की सतह टूट-फूट जाती है। ऐसी स्तिथि में खून की चर्बी तथा रक्तकणों का जमाव हो जाता है। परिणामस्वरूप रक्तप्रवाह में रुकावट पैदा हो जाता है जिससे हृदय को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, मधुमेह, मोटापा, मानसिक अवसाद एवं खून में चर्बी का बढ़ना भी Heart Attack का कारण हो सकता है।
हृदयघात से बचाव :--- किसी भी बीमारी की रोकथाम के लिए सबसे पहले जरूरी है कि उसके कारण को ही समाप्त कर दिया जाये। इसके लिए सबसे पहले अपने भोजन पर ध्यान दें। अधिक चर्बीयुक्त भोजन जैसे -- मक्खन, घी, अंडे आदि का सेवन बंद कर दे अथवा कम कर दें। मोटापा एवं कब्ज वाले पदार्थों का त्याग कर दे। रेशे वाले पदार्थ जैसे -- अजवाइन, ईसबगोल, सोया, मेथी, प्याज, आंवला आदि का सेवन करें। ये पदार्थ हृदयघात से बचाव में सहायक हैं। धूम्रपान का सेवन पूर्णतः बंद कर दें। रक्तचाप एवं मधुमेह को भी नियंत्रण में रखना चाहिए।
हृदयघात का घरेलू इलाज:--- 120 ml गुलाब का अर्क, 60 ml केवडा का अर्क एवं 60 ml ताजा पानी में 40 दाना किशमिश को मिट्टी के कुल्हर में रात को फूलने रख दें। सुबह खाली पेट शौच जाने के पहले सभी किशमिश को एक-एक करके खा लें और पानी पी जाएं। इस प्रयोग को डेढ़ महीने तक करके छोड़ दें।
आयुर्वेद के अनुसार हृदय रोग में अर्जुन की छाल, आंवला एवं हरड़ का प्रयोग औषधि के रूप में अत्यंत लाभप्रद होता है। दिल के समस्त रोगों में आंवला का प्रयोग अत्यंत लाभप्रद होता है। सूखे आंवलों को कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। अब इसमें बराबर मात्रा में मिश्री को पीसकर मिला दें। प्रतिदिन सुबह में खाली पेट इस मिश्रण का दो चम्मच सेवन करें। मिश्रण को निगलने के लिए पानी का इस्तेमाल करें। कुछ ही दिनों के प्रयोग से हृदय की समस्त बीमारियों में अत्यंत लाभ की अनुभूति होती है।
आयुर्वेद के अनुसार हृदय रोग में अर्जुन की छाल, आंवला एवं हरड़ का प्रयोग औषधि के रूप में अत्यंत लाभप्रद होता है। दिल के समस्त रोगों में आंवला का प्रयोग अत्यंत लाभप्रद होता है। सूखे आंवलों को कूट पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। अब इसमें बराबर मात्रा में मिश्री को पीसकर मिला दें। प्रतिदिन सुबह में खाली पेट इस मिश्रण का दो चम्मच सेवन करें। मिश्रण को निगलने के लिए पानी का इस्तेमाल करें। कुछ ही दिनों के प्रयोग से हृदय की समस्त बीमारियों में अत्यंत लाभ की अनुभूति होती है।
अजवाइन और ईसबगोल के नियमित सेवन से हृदय रोग एवं कोलेस्ट्रॉल वृद्धि को रोका जा सकता है। अजवाइन में 90% रेशे वाले तत्व होते हैं जो रक्त में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। 2 से 3 चम्मच ईसबगोल के सेवन से भी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में 15 से 20 प्रतिशत की कमी की जा सकती है। अजवाइन एवं ईसबगोल का सेवन स्वस्थ व्यक्ति भी कर सकते हैं क्योकि Prevention is better than cure
Heart Attack (हृदयघात) के कारण एवं बचाव
Reviewed by Ragini Rani
on
February 13, 2019
Rating:
No comments:
Thanks for comments