Leucoderma/सफेद दाग/श्वेत कुष्ठ का आयुर्वेदिक इलाज
सफेद दाग के कारण एवं घरेलू इलाज
त्वचा का रंग कहीं-कहीं से सफेद हो जाना, श्वित्र रोग का लक्षण है। यह रोग न तो वंशानुगत कारण से होता है और न हीं संक्रमण या छुआछूत के कारण। इस रोग का कारण व्यक्तिगत स्थिति एवं पूर्व कर्म को माना जाता है।
श्वित्र रोग शारीरिक से ज्यादा मानसिक कष्ट पहुंचाता है। इसलिए समाज के लोगो को समझना चाहिए कि यह कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है बल्कि त्वचा में रंग बनाने की प्रक्रिया में कमी होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न होती है। Melanin नाम की कोशिकाओं का घनत्व त्वचा के जिस भाग पर कम हो जाता है वहाँ सफेद दाग बन जाता है। त्वचा पर हानिकारक रासायनिक पदार्थों का प्रयोग अथवा किसी दुर्घटना में जलने या जख्मी होना भी सफेद दाग का कारण हो सकता है। क्योंकि ऐसी अवस्था में रंग बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती है।
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सभी सफेद दाग लाइलाज नहीं होते। सफेद दाग को छुपाने की जगह यदि जल्द-से-जल्द सही उपचार किया जाये तो यह ठीक हो सकता है। सफेद दाग जब पुराने हो जाते हैं एवं प्रभावित जगह के रोएं लाल रक्त वर्ण के हो जाते है तो यह दाग असाध्य यानी लाइलाज हो जाता है। यदि रोएं लाल रक्त वर्ण के न हुए हो और सफेद दाग के मध्य भाग में कुछ शोध हो तो ऐसा दाग उचित इलाज से ठीक किया जा सकता है।
घरेलू इलाज --- नारियल के तेल में थोड़ा नौसादर मिलाकर मलहम बना लें। इस मलहम को रोजाना सफेद दाग पर लगाएं। एक महीने के उपयोग से लाभ महसूस होने लगता है।
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अंत में सबसे जरूरी है कि सफेद दाग का मरीज अपने अन्दर हीन भावना को न पनपने दे क्योंकि सफेद दाग भी अन्य चर्म रोगों की तरह का एक चर्म रोग है। समय पर सही इलाज से इसे हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है। सफेद दाग में होमियोपैथ इलाज भी बेहद लाभप्रद होता है।
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Leucoderma/सफेद दाग/श्वेत कुष्ठ का आयुर्वेदिक इलाज
Reviewed by Ragini Rani
on
March 28, 2019
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